उपभोगता का उदेश्य ज्यादा से ज्यादा संतुष्टि प्राप्त करना है | तटस्था वक्र के सेहीयता से हम यह पता लगा सकते है कि एक उपभोगता अपनी सिमित आमदन विभि वस्तुओं के जोड़ों पर किस तरह खर्च करे कि उसे ज्यादा से ज्यादा संतुष्टि प्राप्त हो |
सबसे पहले जाने कि उपभोगता संतुलन होता क्या है
उपभोगता संतुलन वह स्थिति है जिस में एक उपभोगता अपनी सिमित आमदन को निश्चित कीमत पर इस तरह वस्तुए व सेवाएं खरीदने में खर्च करता है कि उसे ज्यादा से ज्यादा संतुष्टि प्राप्त होती है | यह एक ऐसी स्थिति है जिसे वह किसी भी कीमत पर परिवर्तन नहीं करना चाहता |
इसकी मान्यताएं
१. वस्तुओं की कीमत स्थिर है
२. उपभोगता की आमदन स्थिर है
३. उपभोगता को हर वास्तु की कीमत का पूरा ज्ञान है |
४. उपभोगता अपनी आमदन को थोड़ी थोड़ी मात्रा में खर्च कर सकता है |
५. उपभोगता विचारशील है |
६. बाजार में पुराण प्रतियोग्यता है
७ . वस्तुयें बाँटने योग्य है |
उपभोगता संतुलन की स्थिति प्राप्त करने के लिए कीमत रेखा का पता होना चाहिए | कीमत रेखा को बजट रेखा भी कहा जाता है | इसे संभावित उपभोगता रेखा भी कहा जाता है |
कीमत रेखा वह रेखा है जो वस्तुओं के जड़ों को बताती है जिसे सारी आमदन खर्च करके खरीदी जा सकती है |
मान लीजिये उपभोगता की आमदन ४०० रुपये है वह केले व संतरों पर अपनी आये खर्च करना चाहता है | संतरे की कीमत ५० रुपये व केले की कीमत है १०० रुपये प्रति किलों |
तो निम्न लिखित तरीके से वह खरीद सकता है
आमदन
४०० रुपये
संतरे ८ किलो
केले ० किलो
४०० रुपये
संतरे ६ किलो
केले १ किलो
४०० रुपये
संतरे ४ किलो
केले २ किलो
४०० रुपये
संतरे २ किलो
केले ३ किलो
४०० रुपये
संतरे ० किलो
केले ४ किलो
जब हम इसे वक्र पर दिखाते है तो यह इस तरह का कीमत रेखा बनाता है
सलोप ऑफ़ प्राइस लाइन = Px / Py
Px = x वस्तु की कीमत Py = Y वास्तु की कीमत
एक उपभोगता कीमत रेखा पर उस बिंदु पर संतुलित होगा जब यह कीमत रेखा एक तटस्था वक्र की स्पर्श रेखा हो
व यह तटस्था वक्र मूल बिंदु से कॉन्वेक्स होना चाहिए |
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