प्राचीन काल में भारत सोने की चिड़या था क्योकि भारत ज्ञान देने में गुरु था व यह शिक्षा गुरुकुल में दी जाती थी | व स्वामी विवेकानंद जी चाहते थे गांव गांव में फिर से वैदिक गुरुकुल खुले व मैकाले के इंग्लिश एजुकेशन सिस्टम बंद हो |
प्राचीन भारत देश में श्री राम चंद्र जी गुरु विशिष्ठ के गुरुकुल में जाकर शिक्षा प्राप्त की | श्री कृष्ण जी ने सांदीपनि गुरु के गुरुकुल में जा कर शिक्षा प्राप्त की | स्वामी दयानंद जी ने गुरु विरजानन्द जी के गुरुकुल में जा कर शिक्षा प्राप्त की | स्वामी विवेकानंद जी ने गुरु राम कृष्ण परमहंस जी से शिक्षा प्राप्त की | इसी परपरा को आगे रखते हुए स्वामी विवेकानंद गुरुकुल की स्थापना 2001 में की है | ताकि हर भारतीय ज्ञान का सागर बने | व भारत का नाम उच्चा करे | हम आज भी नालंदा, तकशिला , काशी , विक्रमशिला , उज्जैन गुरुकुल की तरह आधुनिक ज्ञान की शिक्षा देने में सक्षम है |
जैसे प्राचीन काल में गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करके हर विद्यार्थी , आर्थिक रूप में व सामाजिक रूप में स्वावलम्बी बनता था वैसे ही हम भी बनायेगें |
अंग्रेजों के आने से पहले शिक्षा देने में भारत सबसे आगे था पर अंग्रेजों के आने के बाद उसके अंग्रेज मेकाले ने हमे शिक्षा के नाम पर अज्ञान में धकेला उसने मन , विचार व वचन से भारतियों को अंग्रेजी शिक्षा दे कर सिर्फ अंग्रेज ही पैदा किये, जिन में आज कोई संस्कार नहीं रहे | गुरुओं की इज्जत मान नहीं रहा | सिर्फ पैसा कमाने वाले गुलाम बन कर रह गए | परधीन शिक्षा से सदा के लिए पराधीन बन कर रह गए | व धीरे धीरे सभी गुरुकुल अंग्रेजों की इस गन्दी निति से बंद हो गए | इस का परिणाम यह हुआ भारत में व्यसनी , व्यभिचारी , आलसी , रोगी , व्यक्ति कान्वेंट स्कूल में पैदा होना शुरू हो गए | व राष्ट्रभक्त व बुद्धिमान लोगो की कमी हो गए | इसको देखते हुए हमने निर्णय लिया है | हम भारत को वापस शिक्षा के क्षेत्र में उच्चा उठाएंगे |
COMMENTS