श्री कृष्ण जी का आज जनम दिवस है | वह एक महान योगी व गुरु है जिन्होंने गीता ज्ञान ८९ वर्ष की आयु में दिया वो भी युद्ध भूमि में अर्जुन को , आएं इस गीता ज्ञान को जाने |
यह गीता ज्ञान अर्जुन के मोह के परदे को तोड़ने के लिए दिया गया | उसे अपने रिश्तेदारों से मोह हो गया व उसने कहा मैं युद्ध नहीं करुगा | श्री कृष्ण ने कहा यह कायरों जैसी बाते मत करों
१. तुम उनके लिए शोक करते हो जो शोक के योग्य नहीं | वो सभी १३ वृष पहले द्रोपती के चिर हरण के समय चुप थे व आज धरयोधन के साथ मिल के तुम्हारा वध करने आये है | इन से मोह न करे |
२. आप का ज्ञान अधूरा है | तुम शरीर व आत्मा को एक समझ रहे हो जो गलत है
३. आत्मा अम्र व अजन्मा है व शरीर नाशवान है
४. प्राणी का शरीर एक दिन तो मरणा ही है | इस लिए उनकी चिंता न करे व अपने युद्ध का कर्म करो |
५. आत्मा व शरीर अलग अलग हिसे है |
६. जो ज्ञानी होते है वो मरे हुए व् मरने वालों का शोक नहीं करते
७. एक जीवन में उनके शरीर मिलते है इस आत्मा को जैसे
शिशु का शरीर
बालक का शरीर
युवक का शरीर
जवान पुरष का शरीर बड़े का शरीर
मृत शरीर
पर आत्मा में कोई बदलाव नहीं आता
८. आत्मा परमात्मा का अंश है
९ मन के दास न बने में को अपना दास बनाये | यह मन शरीर का ही एक अदीर्ष्य अंग है यह आत्मा नहीं
१०. प्राणी अपने मन को काबू करके अपनी आत्मा को देखें व इसके प्रकाश में परमात्मा को देखें
११. शरीर रथ है , इंद्रियां घोड़े है | मन सारथि है व आत्मा इसका स्वामी है |
१२. मन को वश करने के लिए उस पर दो तलवारों से वार किया जाता है पहली तलवार अभ्यास की व दूसरी तलवार वैराग्य की
१३. विषय के मोह को त्यागना ही वैराग्य है
१४. न रिश्तों का मोह करना चाहिए न रिश्तों के टूटने का शोक करना चाहिए |
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