हमने 29 जुलाई 2025 को श्रद्धा और भक्ति के साथ नाग पंचमी मनाई। यह पर्व हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा नागों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु स्थापित किया गया। उन्होंने हमें सिखाया कि प्रकृति ही हमारी सबसे बड़ी गुरु है – और उसमें नाग, सांप जैसे प्राणी भी शामिल हैं। इस दिन हम उन सांपों को पूजते हैं, जो बिना बोले हमें जीवन के गहरे रहस्य सिखाते हैं। ऋषियों ने कहा है कि जिसका सत्कार किया जाए, उससे डरना नहीं चाहिए। अगर किसी के पास विष है, तो उससे बस सावधानी बरती जानी चाहिए – सम्मानपूर्वक दूरी रखकर उसकी पूजा की जानी चाहिए ताकि हमारा पैर उस पर न पड़े। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है।
आइए नाग पंचमी के इस पावन अवसर पर जानें कि सांप हमें क्या जीवन पाठ सिखाते हैं:
1. सतर्कता का प्रतीक: विषधर नाग
भगवान ने सांप को विष का वरदान दिया है। उसकी उपस्थिति हमें सिखाती है कि कभी भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। यदि हम असावधानीवश उसके ऊपर पैर रख दें, तो वह डस सकता है – ठीक उसी तरह जीवन में भी यदि हम ध्यान नहीं देते तो गंभीर नुकसान हो सकता है। सांप हमें सावधान रहने और हर क्षण सतर्क रहने का संदेश देता है।
2. अहंकार को त्यागो, नम्रता अपनाओ
सांप व नाग हमे सिखाता है हमें अहंकार में नहीं ऑंखें बंद करके नहीं चलना चाहिए | चाहे आप का सोने का महल हो यदि आप अपनी गर्दन नहीं झुकाते व् अकड़र कर चलते हो तो आपको सबसे ज्यादा खतरा सांप से है | सांप के रूप में भगवान हमें शिक्षा दे रहा है | अहंकार मत करे | किसी को छोटा मत समझो | यदि आप के पास धन आ गया तो भी निम्रता को अपने जीवन में धारण करो | क्योंकि आपके सोने के महल , धन दौलत सब इस दुनिया में रह जायेगे | यदि अहंकार ने आपकी मत मार दी व आप ने निचे देखा ही नहीं व सांप ने आप को डंस लिया | इस निम्रता के के महान ज्ञान को देने के लिए नाग देवता का धन्यवाद |
3. ज़हरीले संबंधों से बचो
जीवन में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बाहर से मित्रवत लगते हैं, पर भीतर से स्वार्थी और ज़हरीले होते हैं। वे कार्य निकालने के बाद मुँह फेर लेते हैं या क्रोधित हो जाते हैं। ऐसे लोगों से उसी तरह दूर रहना चाहिए जैसे हम सांप से दूरी बनाकर चलते हैं – बिना घृणा के, पर सावधानी से।
4. सांप: खेतों का रक्षक और प्राकृतिक संतुलन का हिस्सा
सांप चूहों को खाकर केवल अपने लिए भोजन जुटाते हैं — यह उनका स्वाभाविक जीवन चक्र है। लेकिन हम न तो चूहों के शत्रु हैं, न ही सांपों से डरते हैं। चूहे भी खेत की मिट्टी को नरम बनाकर फसलों के लिए उपयोगी सिद्ध होते हैं, और सांप उनके नियंत्रण में मदद करते हैं।
यह प्रकृति का संतुलित तंत्र (eco-system) है, जिसे हमारे ऋषियों ने समझा और सम्मान दिया। हम अहिंसक हैं — हम न किसी को मारते हैं, न घृणा करते हैं। हम तो यह भी समझते हैं कि खेत में जब चूहे बढ़ते हैं, तो सांपों का आना प्राकृतिक समाधान है। वह मेहनत करता है, अपने भोजन के लिए, और इस प्रक्रिया में किसान के खेतों की भी रक्षा करता है।
इसलिए हम नाग देवता को धन्यवाद देते हैं — उनके संतुलित स्वभाव, श्रमशीलता और प्राकृतिक भूमिका के लिए। वे बिना शोर किए हमें सिखाते हैं कि हर प्राणी का एक उद्देश्य है, और प्रकृति के साथ तालमेल ही सच्ची भक्ति है।
5. विष भी रक्षा के लिए वरदान हो सकता है
नाग हमे सिखाता है की विष भी अमृत के समान है | जो जीव में विष नहीं अक्सर उसको आसानी से बिना डरे पकड़ लिया जाता है व उसे कष्ट दिया जाता है | हमें भी अपने राष्ट्र की रक्षा , आत्म समान की रक्षा व संस्कृति की रक्षा के लिए क्रोध रूपी विष से दुश्मनों को डसना चाहिए | इसका प्रयोग उन पर नहीं करना चाहिए जो निर्दोष है | जैसे सांप किसी की पास आ कर उसे नहीं काटता बल्कि जो उसके नजदीक जा कर उसे कष्ट देता है उसे डसता है |
निष्कर्ष
नाग पंचमी केवल एक परंपरागत पर्व नहीं है, यह प्रकृति और जीवन की गहन सीखों का पर्व है। यह दिन हमें आत्मनिरीक्षण, सतर्कता, नम्रता, और विवेकपूर्ण व्यवहार का पाठ पढ़ाता है। नाग देवता को नमन करते हुए, आइए हम उनके ज्ञान और प्रकृति से मिले संदेश को अपने जीवन में आत्मसात करें।
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