कंपास को दिशासूचक भी कहा जाता है क्योकि इस के आधार पर दिशा का अनुमान लगाया जाता है | यह कंपास एक डबी में चुंबक को रख कर बनाई जाती है | यह एक प्रकार का यंत्र है | जो उत्तर व दक्षिण की तरफ सूचित करता है व यदि हम उत्तर के राइट साइड है तो हम पूर्व दिशा में जा रहे है | यदि हम दक्षिण के राइट साइड जा रहे है तो इसका मतलब हम पश्चिम की तरफ जा रहे हो |
यह दिशा सूचक समुंद्री जहाज व हवाई जहाज को दिशा देने के लिए बहुत उपयोगी है क्योकि थल पर तो कारों व् बसों को दिशा देने के लिए स्थान सूचक भी बने हुए है | जैसे अगर आप अम्बाले से चंडीगढ़ जाना है तो स्थान सूचक यह बताएगा के आगे राइट हो जाये व ६५ चले | पर हवाई जहाज व समुंद्री जहाज में यह संभव नहीं व कपास यहेह कार्य करती है दिशा देने का |
कंपास का सिद्धांत है के यह परस्पर ध्रुव प्रति आक्रषण करती व असमान ध्रुवों को आकर्षित करती है इसलिय इसकी सुई स्वतन्त्र होने पर उत्तर व दक्षिण दिशा में खड़ेगी
दिशासूचक दिशा को कोणों में दिखने में भी सक्षम है | जैसे इसकी सुई फुल्ली नार्थ में है और आप की करंट लोकेशन इसके लोकेशन पर हो सकती है जैसे आप ६० डिग्री नार्थ ईस्ट में स्तिथ हो |
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